Computer Fundamental in Hindi

Computer Fundamental in Hindi

Computer की परिभाषा - Computer एक Electronic Machine है। इसके द्वारा Mathematical or Non Mathematical work किया जा सकता है। Computer  Hardware और Software से मिलकर बना है। यह एक universal machine  हैं।

कंप्यूटर कैसे काम करता है ? (How Computer Works in Hindi )

कंप्यूटर इनपुट डिवाइस से इनपुट डेटा लेता है, उसे स्टोर करता है और उसे प्रोसेस करता है और आउटपुट देता है।

Computer की विषेशताऐं (Features of Computer)

  1. Speed- Computer बहुत तेज गति से work करता है। इसकी गति को हर्ट्स में measure किया जाता है।
  2. Automatic - Computer अपने work को अपने आप करता है। Computer से work कराने के लिये किसी भी व्यक्ति की निगरानी की आवश्यकता नहीं होती है।
  3. Accuracy - Computer अपने work को बहुत शुद्धता के साथ करता है। यदि वही कार्य मानव के द्वारा किया जाय तो उसमें error हो सकती है। लेकिन वही कार्य Computer के द्वारा किया जाय तो बहुत तीव्रगति से और शुद्धता के साथ होगा।
  4. Multitalented - Computer एक Multifunctional Machine है। दुनिया के किसी भी कार्य को कर सकते है। अर्थात् यह एक सर्वभौमिक मशीनहै।
  5. Memory - Computer की याद रखने की क्षमता बहुत ज्यादा है। Computer की मेमोरी को आवयकता के अनुसार कम या ज्यादा कर सकते हैं। जबकि मानव की मेमोरी में यह विशेषता नहीं है। मानव केवल महत्वपूर्ण बातों को ही याद रखता है। अनावश्यक बातों को याद नहीं रखता है।
  6. थकावट - Computer 24X7 दिनों कार्य करने की क्षमता रखता है। जोकि मानव के अंदर नहीं है। यह कभी थकता नही है। जबकि मानव कुछ समय कार्य करने के बाद थक जाता है। और उसको आराम की जरूरत होती है।
  7. ईमानदारी (Honest)- Computer अपने कार्य को ईमानदारी के साथ करता है। जबकि मानव अपने कार्य को ईमानदारी से नही करता है।
  8. User-friendly - Computer यूजरफन्डली होता है। अर्थात् इसे चलाना सरल होता है।
  9. Computer कम पावर का यूज करता है।
  10. इससे हम देश दुनिया से संवाद स्थापित कर सकते है।

 Weakness (कमियाँ)

  1. NO IQ- Computer के अन्दर सोचने समझने की क्षमता नही होती है। जोकि मानव के अन्दर होती है। यही वजह है कि Computer मानव का गुलाम है।
  2. No Feeling - Computer के अन्दर फीलिंग नहीं होती है। जोकि मानव के अन्दर होती है।

Brief History of Development of Computer(Computer का

संक्षिप्त विकास कम):-

Computer का विकास क्रम 3000 वर्श पुराना है। चीन ने सबसे पहले गणना यंत्र अबेकस का अविश्कार किया था । यह एक यांत्रिक डिवाइस है। जिसका उपयोग आज भी चीन, जापान, एशिया, सहित अन्य दे गों में किया जा रहा है। अबेकस तारों का एक फेम होता है। इन तारों में प्लास्टिक या धातु के गोले पिरोये रहते है। प्रारंभ में अबेकस का उपयोग व्यापारी गणनाऐंक रने के लिय करते थे। यह मशीन अंको को जोड़ने ,घटाने गुणा या भाग के लिये उपयोग कि जाती है। इसके कुछ शताब्दियों बाद अन्य मशीनों को अंको की गणना के लिये विकसित की गया था। 17वीं भाताब्दी में फ्रांस के गणितज्ञ ब्लेज पास्कल ने एक यांत्रिक अंकीय गणना यंत्र सन् 1645 में विकसित किया । इस मशीन को एडिंग मशीन कहते है। क्योंकि यह मशीन केवल जोड या घटा सकती थी।

यह machine ,watch और Odimeter के सिद्धांत पर work करती थी। इसमें कई दातेंयुक्त चकरियाँ थीं जो घूमती रहती थी । चकरीयों के दांतों पर 0 से 9 तक के अंक छपे रहते थे। प्रत्येक Chakri का एक स्थानीय मान होता था। प्रत्येक Chakri स्वंय से पिछली Chakri के एक चक्कर लगाने पर एक Number घूम जाती थी। ब्लेज पास्कल के इस एडिंग मशीन को पास्कलाइन कहते है। जो सबसे पहला गणना यंत्र था । आज भी कार या Bike के Spidometer में यही यंत्र work करता है। इसका विकसित रूप 1694 में जर्मन के गणितज्ञ व दा निक गॉटफेड विलहेम वॉन लेबनीज ने तैयार किया था जिसका नाम रेकनिंग मशीनया लेबनीज चक कहते है। यह मशीन जोड घटाने के अलावा गुणा व भाग करने में भी सक्षम थी इसके बाद कई गणना यत्रं विकसित किये गये।

जेका लूम (Jacquard Loom):- सन् 1801 में फांसीसी बुनकर जोसेफ जेकार्ड ने कपड़े जुनाने के ऐसे लूम का आविश्कार किया जो कपड़ो मे स्वतः ही डिजाइन या पैटर्न देता था। इस लूम की विशेषता यह थी कि यह कपड़े के डिजाइन को कार्डबोर्ड के छिद्रयुक्त पंचकर्डो से नियन्यित्र करता था । पंचकाई पर छिद्रों की उपस्थिति ओर अनुपस्थिति के द्वारा धागों को instruction दिया जाता था ।

जेकार्ड के इस तुम ने दो विचारधारायें दी जो आगे Computer के विकास में उपयोगी सिद्ध हुई। पहली यड की सूचनाओं को पंचकार्ड पर कोडिड किया गया । दूसरी यह की पंचकार्ड पर संगृहीत सूचना निर्देशों का सूमह है। जिससे punch card को जब भी कार्य में लिया जायेगा तो instructions का यह group एक program के रूप में work करेगा।

चार्ल्स बैबेज का डिफरेंस इंजिन (Charles Babbage's Difference Engine):-

Computer के इतिहास में उन्नीसवीं भारताब्दी का प्रारम्भिक समयः स्वर्णिम युग माना जाता है। अंग्रेज गणितज्ञ चार्ल्स बैबेज ने एक यांत्रिक गणना मशीनविकसित करने की आव यकता तब महसूस की जबकि गणना के लिए बनी हुई सारणीयों में त्रुटि आती थी । चूंकि ये देबिल हस्त निर्मित थीं। इसलिये इसमें त्रुटि आती थी। चार्ल्स बैबेज: ने सन् 1822 में एक मशीनका निर्माण किया जिसका व्यय ब्रिटि । सरकार' वहन किया । उस मशीनका नाम डिफरेन्स इंजिन रखा गया। इस मशीनमें गियर और भाफ्ट लगे थे। और यह भाप से चलती थी ।इसके बाद सन् 1833 में चार्ल्स बैबेज ने डिफरेंस इंजिन का विकसित रूप एक एनालिटिकल इंजिन तैयार किया । यह मशीनकई प्रकार के गणना कार्य करने में सक्षम थी । इसमें instructions को संग्रहित करने की क्षमता थी । और इसके द्वारा स्वचलित रूप में परिणाम भी छापे जा सकते थे। बैबेज का Computer के क्षेत्र में बहुत योगदान रहा । बैबेज का ऐनालिटिकल इंजिन आधुनिक Computer का आधार बना और यही करण रहा है कि चार्ल्स बैबेज को Computer का पितामह कहा जाता है। बैबेज के ऐनालिटिलक इंजिन को पहले बेकार समझा गया । लेकिन बाद में एडा ऑगस्टा ने ऐनालिटिकल इंजिन में में गणना के निर्देशों को विकसित करने में मदद की । इसी करण एडा ऑगस्टा को पहले प्रोग्रामर का श्रेय जाता है। ऑगस्टा को सम्मानित करने के लिये Computer की एक भाशा का नाम एडा (ADA) रखा गया।

होलेरिथ सेंसस टेबुलेटर (Hollerith Census Tabulator):-

सन् 1890 में Computer के इतिहास में एक और महत्वपूर्ण घटना हुई वह थी अमेरिका की जनगणना का कार्य । सन् 1890 से पूर्व जनगणना का कार्य पारम्परिक तरीकों से किया जाता था। सन् 1880 में शुरू की गई जनगणना में सात वर्श का समय लगा। कस समय में जनगणना के कार्य को करने के लिये होलेरिथ ने एक मशीनबनाई जिसमें पंचकार्ड को विद्यतु के द्वारा संचालित किया जाता था। उस मशीनकी सहायता से जनगणना करने में केवल तीन वर्श का समय लगा। जोकि बहुत ही कम था। सन् 1886 में होलेरिथ पंचकार्ड यंत्र बनाने टेबुलेटिंग मशीनकम्पनी बनाई । सन् 1911 में इस कम्पनी का नाम बदलकर Computer टेबुलेटिंग रिकॉर्डीग कम्पनी हो गया। सन् 1924 में इस Company का नाम बदलकर IBM हो गया। जिसका पूरा नाम इंटरनेशनल बिजनेस मशीन हो गया।  जो की आज विश्व की Computer निर्माण करने बाली सबसे बड़ी कम्पनी हो गयी है।

  1. Aiken and Mark 1 (आइकेन और मार्क 1):- सन् 1940 में Electromechanical Computing अपने शिखर पर पहुंच चुकी थी । आई बी एम के चार भीर्श इंजीनियरों व हॉवर्ड आईकेन ने सन् 1944 में एक मशीन को विकसित किया और इसका आधिकारिक नाम Automatic Sequence Controlled Calculator रखा। बाद में इस मशीनका नाम मार्क -1 रखा गया। यह विश्व का सबसे पहला Electromechanical Computer था। इसमें 500 मील लंबाई के तार व 30 लाख Electronic Connection थे। यह 6 सेकण्ड में एक गुणा और 12 सेकण्ड में एक भाग की क्रिया कर सकता था।
  2. ABC :- आइकेन और आई बी एम के मार्क -1 की तकनीकी नई इलेक्टॉनिक्स तकनीकी आने से पुरानी हो गयी थी |नई इलेक्टॉनिक्स तकनीकी में कोई यांत्रिक पुर्जा संचालित करने की आव यकता नहीं थी । जबकि मार्क-1 एक विद्यतु मशीनथी।
  3. The ENIAC (199346):- इस Computer का पूरा नाम Electronic Numerical Integrator and Calculator है। इसका विकास आर्मी के लिये किया गया था । इसकी साईज 20 वाय 40 square feet room के बराबर था इसमें 18000 निर्वात नलीयों का प्रयोग किया गया था। यह Computer एक जोड 200 micro seconds में करता था। और भाग 2000 Micro Seconds में ।
  4. The EDVAC (1946 - 52):- इस का पूरा नाम Electronic Discrete Variable Automatic Computer था। यह पहला डिजिटल Computer था।
  5. The EDSAC(1947-49):- इसका पूरा नाम Electronic Delay Automatic Calculator था। यह पहला Computer था जिस पर प्रोग्राम को रन किया गया था।
  6. The UNIVAC-I(1951):- इसका पूरा नाम Universal Automatic Computer था। यह पहला डिजिटल Computer था। और यह व्यापार में प्रयोग होने बाला प्रथम Computer था। इसके बाद IBM ने 701 Commercial Computer तैयार करा था।

The Computer Generations (Computer की पीढ़ीयाँ

Computer को तकनीकी (Technology)के आधार पर पॉच पीढीयों में बॉटा गया है।

  1. First Generation (1945-1955)
  2. Second Generation (1955-1964)
  3. Third Generation (1964-197.5)
  4. Fourth Generation (1975-1989)
  5. Fifth Generation (1989 To Present)

First Generation (1945-1955) :- Computer की प्रथम पीढ़ी की शुरुआत 1945 से मानी जाती है। इस जनरेशन में Vacuum Tube Technology का प्रयोग किया गया था।

इस पीढ़ी की निम्न विशेषताएँ है-

  1. इस Generation में Vacuum Tube Technology का use किया जाता था।
  2. यह Computer उस समय के अनुसार बहुत अधिक गति से केलकुलेशन करते थे।
  3. यह साइन में बहुत बड़े होते थे।
  4. यह विधुत का अधिक प्रयोग करते थे।
  5. इन को चलाना कठिन होता था।
  6. इसमें मशीन भाषा का प्रयोग किया गया था।
  7. इसमें नमारी के तौर पर चुम्बकीय टेप एवं पंचकार्ड का प्रयोग किया जाता था।
  8. इनका रखखाव कठिन था।

Second Generation (1955-1964):- Second Generation की शुरूआत 1956 से 1964 तक मानी जाती है । इस पीढ़ी में Transistor का प्रयोग किया गया था। जिसका विकास Willom Shockly ने 1947 में किया था।

Second Generation की विशेषताऐं:-

  1. इसमें Transistor Technology का प्रयोग किया गया था।
  2. इस पीढ़ी के Computer के कार्य करने की क्षमता प्रथम पीढ़ी के Computer से बहुत अधिक थी ।
  3. इनकी साइज छोटी हो गई थी क्योंकि इसमे transistor का प्रयोग किया गया था।
  4. इसमे Assembly and High Level Language का use किया गया था।
  5. यह कम गर्म होते थे।
  6. इनको चलाना आसान था।
  7. इसमें मेमोरी के तौर पर चुम्बकीय टेप का प्रयोग किया जाने लगा था।

Third Generation (1964 -1975):- Computer की तीसरी पीढ़ी की शुरूआत 1964 से मानी जाती है। इस जनरेशन में आई सी का प्रयोग किया जाने लगा था। IC का पूरा नाम Integrated Circuit है। IC का विकास 1958 में Jack Kilby ने किया था।

Third Generation की विशेषताऐं:-

  1. इसमें IC Technology(SSI) का प्रयोग किया गया था। SSI का पूरा नाम Small Scale Integration है। इस चिप पर 10 से 20 तत्व स्थापित होते थे।
  2. यह प्रथम एवं द्वितीय पीढ़ी से बहुत अधिक गति से कार्य करते थे।
  3. यह साईज में बहुत छोटे थे।
  4. यह Computer बहुत अधिक विश्वसीनीये थे।
  5. इसमें High Level Language का use Programming के लिये किया जाता था।
  6. इन्हें हम एक स्थान से दूसरे स्थान तक easily ले जा सकते थे।
  7. इसमें मेमोरी के तौर पर चुम्बकीय डिस्क का प्रयोग किया जाने लगा था।

Fourth Generation:- Computer की चौथी Generation की की शुरूआत 1975 से 1989 तक मानी जाती है। इस Generation में I C की आधुनिक technology का use किया जाने लगा था। IC की यह technology की VLSI थी। इसका पूरा नाम Very Large Scale Integration है। इस I C chip पर दस से बीस हजार Components को एक chip पर लगाया था जिस के कारण इनकी speed तीसरी Generation की आपेक्षा बहुत अधिक थी

Fourth Generation की विशेषताऐं:-

  1.  इसमें IC Technology (VLSI) का प्रयोग किया गया था। Very Large Scale Integration है।
  2. इस chip पर 10000 से 20000 Elements स्थापित होते थे।
  3. यह तीसरी Generation से बहुत अधिक speed से कार्य करते थे।
  4. यह size में बहुत छोटे थे।
  5. यह Computer बहुत अधिक विश्वसीनीये थे।
  6. इसमें High Level Language का use Programming  के लिये किया जाता था।
  7. इन्हें हम एक स्थान से दूसरे स्थान पर आसानी से ले जा सकते
  8. इस generation में memory के तौर पर magnetic disk का use किया जाने लगा था।
  9. इस generation में Computer  विधुत का बहुत कम प्रयोग करते थे।
  10. इनका देखभाल करना बहुत आसन था एवं इनको Operate करना भी बहुत आसन था।

Fifth Generation:- Computer की पंचम Generation की की शुरूआत 1989 से मानी जाती है। इस जनरेशन में I C की new technology का use किया जाने लगा था। IC की यह technology ULSI थी इसका Full Name  Ultra Large Scale Integration है। इस I C chip पर 10 करोड़ से अधिक Components को एक chip पर लगाया था जिस के कारण इनकी speed चौथी Generation की आपेक्षा बहुत अधिक थी ।

Fifth Generation की विशेषताऐं :-

  1. इसमें IC Technology(ULSI) का प्रयोग किया गया था। Ultra Large Scale Integration है।
  2.  इस chip पर दस करोड़ से अधिक Elements को एक chip पर स्थापित किया गया।
  3. यह चौथी Generation की अपेक्षा बहुत अधिक speed से कार्य करते थे।
  4. यह size में बहुत छोटे थे। जिनको हम गोदी एवं हथेली पर रख कर चला सकते है।
  5. यह Computer बहुत अधिक विश्वसनीये थे।
  6. इसमें हाई लेविल भाषा का प्रयोग प्रोग्रामिंग के लिये किया जाता जो अधिक सरल है। इन भाषाओं में GUT Interface का प्रयोग किया जाता है।
  7. इन्हें एक स्थान से दूसरे स्थान तक ले जाना बहुत ही आसन था।
  8. इसमें memory के तौर पर magnetic disk एवं chip का use किया जाने लगा था। जैसे पेन डाईव।
  9. इस generation में Computer विधुत का बहुत कम प्रयोग करते थे।
  10. इनका देखभाल करना बहुत आसन था एवं इनको Operate करना भी बहुत आसन था।

कंप्यूटर के प्रकार Types of Computers :-

अलग अलग आधार पर Computer कई प्रकार के होते है।

Type of Computer Base on Application

एप्लीकेशन के आधार पर Computer तीन प्रकार के होते है।
1. Analog Computer
2. Digital Computer
3. Hybrid Computer
1. Analog Computer :- एनालॉग Computer वे Computer होते है। जो भौतिक मात्राओं को नापने का कार्य करते हैं। जैसे ताप दाब लंबाई, चौड़ाई आदि माप कर उनके परिणाम अंको में व्यक्त करते है। यह Computer दो परिमापों के बीच तुलना भी कर सकते है। जैस थर्मामीटर कोई गणना नहीं करता किन्तु यह पारे के संबंधित प्रसार की तुलना कर तापमान बताता है। एनालॉग Computer का प्रयोग विज्ञान एवं Engineering के क्षेत्र में किया जाता है। क्यों कि इन क्षेत्रों में परिभाप का प्रयोग अधिक होता है।
2. Digital Computer :- यह Computer अंको की गणना करते है। डिजिटल Computer डाटा एवं प्रोग्राम को 0.1 में परिवर्तित करके उनको electronic रूप में लेता है। अधिकाशंतः Computer डिजिटल Computer डिलिटल Computer ही होते है।
3. Hybrid Computer :- वे Computer जो एनालॉग एवं डिजिटल Computer दोनों का कार्य करते है। hybrid computer कहलाते है। उदाहरण Petrol Pump यह petrol आदि को नापता है और उसके मूल्य की

Type of Computer Base on Purpose:-

उदेश्य के आधार पर Computer दो प्रकार के होते है।
1. General Purpose computer
2. Special Purpose Computer
1. General Purpose computer :- यह वे Computer होते है। जिससे समान्य कार्य किये जाते है। जैसे पत्र लेखन डाटाबेस से संबंधित कार्य किया जाता है। इनका प्रयोग घरों एवं दुकानों किया जाता है।
2. Special Purpose Computer :- यह Computer विशेष कार्य के लिये तैयार किये जाते है। इनके सीपीयू समान्य Computer की आपेक्षा मंहगे होते है। अर्थात् यह मंहगे Computer होते है। इनका प्रयोग निम्न क्षेत्रों में किया जाता है। जैसे मौसम विज्ञान कृषि विज्ञान युद्ध एवं अंतरिक्ष आदि विज्ञान में इसका प्रयोग होता है।
Type of Computer Base on Size and work power(H2):- आकार एवं कार्य करने के आधार पर Computer निम्न प्रकार के होते हैं।

  1. Micro Computer
  2. Work Station Computer
  3. Mini Computer
  4. Mainframe Computer
  5. Super Computer


1. Micro Computer :- यह Computer आकार में छोटे होते है। इन Computer का विकास 1970 के दशक में हुआ था। इन Computer में माइको प्रोसेसर का प्रयोग किया जाता था । इसलिय इन्हें माईको Computer कहते है। यह वनज में हल्के एवं सस्ते Computer होते है। इन Computer का प्रयोग घरों एवं छोटे व्यवसायों में किया जा रहा है। इन Computerस को PC भी कहा जाता है। PC को निम्न भागों में बाँटा गया है।

  1. Desktop Computer
  2. Laptop Computer
  3. Palmtop Computer
  4. Notebook Computer
  5. Tablet Computer

(a.)Desktop Computer:- Desktop Computer वे Computer होते है। जिनको टेबिल पर रखकर चलाया
जाता है। यह साईज में थोड़े बड़े होते है। इसमें सीपीयू मॉनिटर कीबोर्ड माउस आदि होते है।

(b.)Laptop Computer :- Laptop Computer वे होते हैं। जिनको गोदी में रखकर चलाया जाता है। यह साईज में बहुत छोटे होते है। इन Computerस को एक स्थान से दूसरे स्थान पर आसानी से ले जा सकते हैं। यह मंहगे Computer होते है। इसमें सीपीयू कीवोर्ड माउस एक साथ होते है। इनमें पावर के लिये बैटरी का प्रयोग होता है।

(c.)Palmtop Computer:- यह computer, Laptop Computer से small होते हैं। जिनको palm(हथेली) में  रखकर चलाया जाता हैं। यह size में बहुत small एवं वजन में हल्के होते हैं। इन computer को एक place से दूसरे place पर easy से ले जा सकते हैं। यह costly computer होते है। इसमें CPU, Keyboard, Mouse एक  साथ होते हैं। इनमें power के लिये battery का प्रयोग होता हैं। इनकी work करने की क्षमता laptop में थोड़ी कम होती हैं।

(d.)Notebook Computer :- Notebook Computer Laptop Computer की तरह same ही होते हैं। जिनको गोदी में रखकर चलाया जाता हैं। यह size में small होते हैं। इन computer को एक place से  दूसरे place पर easy से ले जा सकते हैं। यह costly computer होते हैं। इसमें CPU, Keyboard, Mouse एक  साथ होते हैं। इनमें power के लिये battery का प्रयोग होता हैं।

(e.)Tablet Computer: - यह Computer size में बहुत ही small होते है। यह mobile से small and bigger होते है। यह touchscreen होते है।

2. Workstation Computer-Workstation Computer use small business में हर जगह किया जाता है। इनकी work करने की capacity micro Computer की अपेक्षा अधिक होती है। यह costly Computer होते है। यह size में micro Computer से bigger होते है।

3.Mini Computer :- यह वो Computer जो बड़ी बड़ी company एवं government office में server Computer के work के लिये use किये जाते है। इनकी capacity of work अधिक होती है। इस Computer पर एक साथ कई user login कर सकते है। इसकी memory capacity  बहुत अधिक होती है। इनका hardware समान्य Computer से bigger होता है। यह computer घरों में use होने वाले computer नही होते है। यह costly computer होते है। इनका use of company के database  को रखने के लिये एवं company के अन्य important कार्य को करने के लिये इस Computer का प्रयोग किया जाता है। PDP-8 First Mini Computer जिसका विकास 1965 में किया गया था। इसका size फ्रिज के बराबर था। इसकी कीमत 18000 dollar थी। जिसे DEC Company ने बनाया था।DEC का  पूरा नाम Digital Equipment Corporation है I

4.Mainframe Computer :- यह वो Computer जो बडी बडी कम्पनीयों एवं सरकारी ऑफिस में सर्वर Computer के कार्य के लिये प्रयोग किये जाते है। इनकी कार्य क्षमता Mini Computer से बहुत अधिक होती है। इस Computer पर एक साथ कई यूजर लॉगइन कर कसते है। इनकी मेमोरी क्षमता बहुत अधिक होती (24X7 days) है। इनका हार्डवेयर मीनी Computer से बड़ा होता है। यह Computer घरों में प्रयोग होने वाले Computer नही होते है। यह मंहगे Computer होते है। इन Computerस में माईको Computer का प्रयोग Client के तौर पर किया जाता है।कुछ Mainframe Computer निम्न है। IBM 4381, ICL 39, CDC Cyber etc. 

  1. Super Computer:- सुपर Computer विशेष प्रकार के Computer होते है। इनका निर्माण विशेष कार्य के लिये किया जाता है। यह दुनिया के सबसे तेज और बड़े Computer होते है। इन Computer में अनेक सीपीयू को एक समान्तर कम में लगे रहते है। जिस के कारण इनकी कार्य करने की क्षमता बहुत अधिक होती है। भारत का पहला सुपर Computer परम है।
    सुपर Computer के कार्य-
    1 अंतरिक्ष यात्रा के लिये
    2 मौसम विज्ञान की जानकारी ज्ञात करने के लिये
    3 high resolution and action Movies बनाने के लिये
    4 युद्ध के लिये